Skip to main content

आवश्यक_जानकारी। कोरोना के तीन चरण:-

1. केवल नाक में कोरोना - रिकवरी का समय आधा दिन होता है, इसमें आमतौर पर बुखार नहीं होता है और इसे असिमोटमाटिक कहते है | 
इसमें क्या करे ?:- 
स्टीम इन्हेलिंग करे व विटामिन सी लें | 


2. गले में खराश - रिकवरी का समय 1 दिन होता है | 
इसमें क्या करे ?: -
गर्म पानी का गरारा करें, पीने में गर्म पानी  लें, अगर बुखार हो तो पारासिटामोल लें | अगर गंभीर हो तो विटामिन सी, बी.कम्पलेक्स और एंटीबायोटिक लें | 


3. फेफड़े में खांसी- 4 से 5 दिन में खांसी और सांस फूलना। 
इसमें क्या करें ?:-
गर्म पानी का गरारा करें, पीने में गर्म पानी  लें, विटामिन सी, बी कॉम्प्लेक्स, पारासिटामोल ले और गुनगुने पानी के साथ नींबू का सेवन करे| ऑक्सिमीटर से अपने ऑक्सीजन लेवल की जाँच करते रहे | अगर आपके पास ऑक्सीमेटर नहीं हो तो आप किसी भी दवा दुकान में काल कर के होम डिलीवरी ले अथवा पीएमसीएच में कॉल  सकते है |  गहरी साँस लेने का व्यायाम करे।

ऑक्सिमीटर से अपने ऑक्सीजन लेवल की जाँच करते रहे। यदि यह 92 (सामान्य 98-100) के पास जाता है और आपको कोरोना के लक्षण(जैसे की बुखार, सांस फूलना इत्यादि) हैं  तो इसके लिए तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य सेवा केंद्र पर संपर्क करे व परामर्श ले | 

*स्वस्थ रहें, सुरक्षित रहें!*
 कृपया अपने परिवार और समाज का ख्याल रखें | घर पे रहे और सुरक्षित रहे | 
 ध्यान दें:*
 कोरोनावायरस का pH  5.5 से 8.5 तक होता है

 इसलिए, वायरस को खत्म करने के लिए हमें बस इतना करना है कि वायरस की अम्लता के स्तर से अधिक क्षारीय खाद्य पदार्थों का सेवन करें।
 जैसे कि:

 -केले
- हरा नींबू - 9.9 पीएच
 -पीला नींबू - 8.2 पीएच
 -एवोकैडो - 15.6 पीएच
 -लहसुन - 13.2 पीएच
 -आम - 8.7 पीएच
 -कीनू - 8.5 पीएच
 -अनानास - 12.7 पीएच
 -जलकुंड - 22.7 पीएच
 -संतरे - 9.2 पीएच

 *कैसे पता चलेगा कि आप कोरोना वायरस से संक्रमित हैं?*

 1. गला सुखना 
 2. सूखी खांसी
 4. शरीर का उच्च तापमान 
 5. सांस की तकलीफ
 6. गंध की कमी
 7. स्वाद की कमी

गर्म पानी के साथ नींबू पीने से वायरस फेफड़ों तक पहुँचने से पहले ही खत्म हो जाते हैं |

Comments

Popular posts from this blog

कब्ज (Constipation) के घरेलू उपचार।

आज के समय में ज्यादातर लोग कब्ज से परेशान है। लोगो के खान पान की वजह से कब्ज जैसे बड़ी बीमारी का सामना करना पड़ता है। समय पर भोजन ना कर पाना और बाहर की तली भूनी चीज़ों को चटकारे के साथ खाना ये सब हमारे पेट में कब्ज जैसी बीमारी बनाने का सबसे बड़ा जिम्मेदार माना जाता है। यदि हम अपने खानपान को नियमित टाइम से खाना शुरु कर दें, तो हमारा पेट कब्जमुक्त हो सकता है। और बाहर की तली भुनी चीजों पर निर्भरता हम कम कर दें तो निश्चित ही पेट संबंधित जितने भी विकार हैं, वह सब ठीक हो सकते हैं।           फिर हाल अगर आप कब्ज से परेशान है तो अभी आप इन   घरेलू उपचार से अपने आप को कब्ज मुक्त कर सकते हैं।                                                                    सेब :- सुबह नाश्ते में एक सेब और शाम के भोजन में एक सेब नियमित रूप से खाने से कब्ज तथा ...

होम्योपैथी (HOMEOPATHY)

HOMEOPATHY:-  शब्द दो ग्रीक शब्द होम्योज (HOMOIOS) याने सदृश (SIMILAR) और पैथोज (PATHOS) अर्थात दुख: भोग या रोग (SUFFERING) शब्दों से बना है। दोनों शब्दों का अर्थ हुआ सदृश रोग चिकित्सा। सदृश रोग चिकित्सा का सरल अर्थ है। जो रोग जिस औषध के सेवन से उत्पन्न हुआ, उसी रोग के लक्षणों में वही औषधि दो। उदाहरण के लिए, आप कच्चे प्याज को कांटे। थोड़ी देर प्याज काटने पर नाक और आंखों से पानी गिरने लगेगा। जुकाम जैसी स्थिति होगी इसी जुकाम में प्याज से बनी औषधि एलियम सीपा  देनी पड़ती है। ऐसा दूसरा उदाहरण आप मिर्च खाइए अधिक मिर्च खाने से पेट में जलन होगी जब किसी रोगी के पेट में जलन हो तो मिर्च से बनी औषधि कैप्सिकम दो जलन मिट जाएगी। अतः होम्योपैथी में औषधि प्रयोग के लिए रोगी में जैसे रोग लक्षण देखो वैसे ही लक्षणों वाली औषधि रोगी को दे दो रोग दूर हो जाएगा। यह सिद्धांत " सम: सम शमयति" ( SIMILIA SIMILIBUS CURANTUR) कहलाता है।                 औषधि प्रयोग:-  होम्योपैथी में औषधि प्रयोग का नियम उपरोक्त वर्णित है। कैसा भी रोग ...

ARGENTUM NITRICUM (अर्जेंटम नाइट्रिकम) औषधि का उपयोग।

डॉक्टर एलेन का कहना है, जब कोई कमजोर, छिड़ देह, मांस छिड़ युक्त(दुबला), धासे हुए गाल, धसी आंखो वाला और बूढ़ों जैसे शरीर वाला रोगी दिखाई दे तो उस समय अर्जेंटम नाइट्रिकम का स्मरण करना चाहिए अर्थात उस रोगी को होम्योपैथिक औषधि  अर्जेंटम नाइट्रिकम  की आवश्यकता होती है।    लक्षण:- नमक और मिठाइयों के लिए इच्छा, गर्मी में खड़ा नहीं हो सकता, ऊंचाई से नीचे की ओर नहीं देख सकता। सिर चकराना:-  यह सिर चकराने पर मेरे अनुभव की सफल औषध है। सिर दर्द के साथ सिर में चक्कर आना, किसी ऊंचे मकान की ओर देखते ही सिर में चक्कर आना। सिर में चक्कर आने के साथ कान में भो-भो की आवाज और सुस्ती, कमजोरी हाथ पैर कांपना आदि लक्षण भी रहते हैं। रोगी के सिर चकराने का नाम लेते हैं सर्वप्रथम इस औषधि को देना चाहिए। दस्त:- टट्टी करते समय पर पर्र-पर्र की आवाज होती है, बहुत वायु निकलती है, वायु के वेग से मल बिखर जाता है। उपचार:- ऐसे रोगी को अर्जेंटम नाइट्रिकम 3 time सुबह, दोपहर, शाम को देना चाहिए।